2G Spectrum मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में संशोधन की केंद्र सरकार की मांग को झटका लगा है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने केंद्र की याचिका को गलत धारणा पर आधारित और स्पष्टीकरण की आड़ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की समीक्षा कराने की कोशिश करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में दिए अपने एक आदेश में कहा था कि देश के प्राकृतिक संसाधन नीलामी के जरिए ही आवंटित किए जा सकते हैं। इसी फैसले में केंद्र ने संशोधन की मांग की थी।

रजिस्ट्रार के फैसले के खिलाफ अपील कर सकती है केंद्र सरकार
सुप्रीम कोर्ट के नियम XV के नियम पांच के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का रजिस्ट्री विभाग याचिका लेने से इनकार कर सकता है। इस नियम के मुताबिक रजिस्ट्रार कोई उचित कारण न होने, या निंदनीय मामला होने के आधार पर याचिका लेने से इनकार कर सकता है। हालांकि याचिकाकर्ता इस तरह के आदेश के खिलाफ 15 दिनों के भीतर अपील कर सकता है।

क्या है पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2012 को दिए अपने एक आदेश में 2जी स्पेक्ट्रम के विभिन्न कंपनियों को दिए लाइसेंस निरस्त कर दिए थे, जो ए राजा के बतौर टेलीकॉम मंत्री रहते दिए गए थे। साथ ही कोर्ट ने कहा था कि देश के प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन नीलामी के जरिए हो सकता है। अब बीती 22 अप्रैल को अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष एक अपील की। जिसमें 2जी स्पेक्ट्रम मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2012 के फैसले में संशोधन की मांग की गई। अटॉर्नी जनरल ने मामले को जल्द सूचीबद्ध करने की भी मांग की। केंद्र सरकार ने गैर व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में छूट देने की मांग की। एनजीओ पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन ने केंद्र की याचिका का विरोध किया। इसी एनजीओ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 2012 का फैसला दिया था।

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